खतौली रेलवे स्टेशन (Utkal express derailment) के पास उत्कल एक्सप्रेस अचानक डिरेल हो गई. घटना में अबतक 23 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है. घटना की जानकारी पाकर मौके पर रेलवे प्रशासन, स्थानीय पुलिस, एनडीआरएफ की टीम राहत एवं बचाव कार्य में जुट गया था. वहीँ हादसे में अबतक 156 लोगों के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है.
स्थानीय लोगों ने की मदद:
- खतौली ट्रेन हादसे में प्रशासन की एक और लापरवाही साफ तौर पर देखी गई.
- हादसे की जगह लोगों को सरकार की तरफ से पानी तक की सुविधा नहीं मिल पाई.
- लेकिन खतौली में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम हुई.
- आसपास के मोहल्ले वालों ने अपने ही घरों में भंडारा लगाकर हादसे वाली जगह पर सभी लोगों को अपने हाथों से खाना परोसा.
- साथ ही चाय-पानी,बिस्कुट और फ्रूट भी लेकर मोहल्लेवासी लोगों को खाना खिलाते हुए नजर आए. यह तस्वीरें यह दर्शाती हैं कि सरकार कितने खोखले वादे करती है.
- लेकिन सरकार अभी भी जाँच की बात कहकर लापरवाही से मुंह मोड़ने में लगी है.
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मरम्मत कार्य ने छीन ली जिंदगियां:
- वहीँ इस हादसे के कारणों को लेकर जो बातें सामने आयी हैं, उसमें रेलवे की लापरवाही ही नजर आती है.
- डीआरएम आर एन सिंह ने स्वीकार किया कि उक्त ट्रैक पर मरम्मत कार्य चल रहा था.
- लेकिन उन्होंने इसे नियमित कार्य कार्य कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की.
- उन्होंने कहा कि हादसे की जाँच के आदेश रेल मंत्री ने दे दिए हैं.
- लिहाजा वो इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे.
- हालाँकि उन्होंने ये भी बताया था कि ट्रेन की रफ़्तार 100 किमी प्रति घंटे की रही होगी.
रेलवे को जर्जर ट्रैक की कई बार दी जा चुकी है जानकारी:
- दिल्ली-सहारनपुर के मेरठ लाइन के जर्जर स्थिति की खबर रेलवे को पहले से ही थी.
- कई बार रेलवे को ख़बरों के जरिये ये बताया जा चूका था कि उक्त ट्रैक की हालत गंभीर है.
- स्थानीय लोगों ने भी इसकी शिकायत की थी.
- लेकिन रेलवे के कान पर जू तब तक नहीं रेंगता जबतक कोई हादसा नहीं होता.
- इसी लापरवाही का नतीजा रहा कि 23 जानें एक झटके में ही चली गई.
- वहीँ कई अभी भी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं.