डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में खादी ग्राम उद्योग मंत्री सत्यदेव सिंह पचौरी के सैडो मुकेश शर्मा की पिस्टल (guard pistol) एमआरआई मशीन में फंस गई। मशीन के आस-पास का एरिया होता है, यहां लोहा समेत किसी भी धातु का सामान ले जाना मना होता है।
- बार-बार रोके जाने के बावजूद मुकेश नहीं माना और पिस्टल लेकर कंसोईल रूम में घुस गया।
- अंदर जाते ही उसकी कमर में लगी पिस्टल (guard pistol) खिंचकर मशीन में जा घुसी।
- इसी के साथ मशीन बंद हो गई और वहां हड़कंप मच गया।
- आनन-फानन में मंत्री को एमआरआई रूम से बाहर निकाला गया।
- इस मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कंपनी के इंजीनियर के आने के बाद (guard pistol) पिस्टल मशीन से बाहर निकाली जा सकेगी।
- इसमें लगभग एक सप्ताह से अधिक का समय लगेगा।
- तब तक एमआरआई जांच ठप रहेगी।
- बता दें कि मंत्री के गनर की करतूत सबसे पहले शुक्रवार को ही uttarpradesh.org ने ब्रेक की थी।
- इसके बाद अस्पताल महकमा जागा।
- भले ही कई मरीजों को अब काफी इंतजार करना पड़े।
- लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या अस्पताल प्रशासन मंत्री के सैडो के खिलाफ कोई कर पायेगा?
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क्या है पूरा घटनाक्रम
- खादी ग्राम उद्योग मंत्री सत्यदेव सिंह पचोरी को चक्कर आने की शिकायत है।
- शुक्रवार को लगभग दोपहर 1:00 बजे वह अपने लाव लश्कर के साथ लोहिया इंस्टिट्यूट पहुंचे थे।
- इमरजेंसी में डॉक्टरों ने उनकी जांच की और एमआरआई करने को भेजा।
- मंत्री सत्यदेव सिंह पचोरी वहां से अपने सुरक्षाकर्मियों और पूरी टीम के साथ रेडियो डायग्नोसिस ब्लॉक पहुंच गए।
- उन्हें जांच के लिए मुख्य मशीन रूम में ले जाया गया।
- एमआरआई करने वाले टेक्नीशियन और डॉक्टर ने उन्हें मशीन के स्ट्रक्चर पर लिटाया और जांच के लिए स्ट्रक्चर को सेट करने लगे।
- इसी दौरान मंत्री का सैडो मुकेश शर्मा जबरदस्ती मशीन रूम में घुसने की कोशिश करने लगा।
- वहां तैनात कर्मचारियों को अन्य लोगों ने उसे रोकने की कोशिश की।
- लेकिन सैडो ने किसी की नहीं सुनी और उन्हें धक्का देते हुए मुख्य कमरे में पहुंच गया।
- उसने अपनी पिस्टल भी कमर में लगा रखी थी।
- जैसे ही वह हमारा ही रूम में पहुंचा कमर में पिस्टल खिंचकर मशीन के चुंबकीय हिस्से में जा घुसी।
- इससे तेज आवाज के साथ मशीन बंद हो गई और कमरे में हड़कंप मच गया।
- मंत्री सत्यदेव सिंह पचोरी बिस्तर से उठ कर भाग गए।
- इसके बाद सभी को कमरे से बाहर निकाला गया।
- हालांकि किसी को भी इस हादसे में चोट नहीं आई।
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सप्ताह भर ठप रहेगी जांच
- मशीन में पिस्टल फंस जाने से लोहिया संस्थान में एमआरआई जांच लगभग एक सप्ताह के लिए बंद हो गई है।
- कंपनी का इंजीनियर आने के बाद ही मशीन से पिस्टल को निकाला जा सकेगा।
- विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक मशीन को बंद करके उसका चुंबकीय क्षेत्र खत्म नहीं किया जाएगा।
- तब तक पिस्टल को निकाला नहीं जा सकता।
- यह काम कंपनी के इंजीनियर के आने के बाद ही होगा।
- इसमें एक सप्ताह या उससे अधिक का समय भी लग सकता है।
- बताया जा रहा है कि पांच करोड़ से भी अधिक लागत की एमआरआई मशीन 3 टेस्ला पावर की है, यह काफी शक्तिशाली चुंबकीय शक्ति वाली है।
- इसको सही करने में करीब 50 लाख रुपए का नुकसान होने की आशंका है।
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पीजीआई में भी हो चुका ऐसा हादसा
- बता दें एसजीपीजीआई में भी लोहिया इंस्टिट्यूट की तरह 20 सितंबर 2012 को ऐसा हादसा हो चुका है।
- वहां एमआरआई मशीन के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर फस गया था।
- तीमारदार की गलती से हुई इस घटना के कारण किसी की जान नहीं गई थी।
- लेकिन 5 करोड़ रुपए की मशीन क्षतिग्रस्त हो गई थी।
- इस हादसे में तीमारदार ऑक्सीजन सिलेंडर सहित एमआरआई कमरे में घुस गया था।
- वह जैसे ही कमरे में घुसा था वैसे ही मशीन के चुम्बक ने पालक झपकते ही उसे अपनी ओर खींच लिया।
- अचानक सिलेंडर मशीन में फंस जाने से अफरा-तफरी मच गई थी।
- इससे मरीजों को हलकी-फुलकी छोटे आई थी।
- करीब 10 दिन बाद मशीन की मरम्मत की सकी थी।
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मरीजों के लिए गनर बना आफत
- लोहिया इंस्टिट्यूट में एमआरआई मशीन के बंद होने से रोजाना 20-25 मरीजों की जांच प्रभावित होगी।
- यह जांच लगभग 3500 से 5000 रूपय की होती है।
- शुक्रवार को जिस समय मंत्री के स्टाफ की गलती से हादसा हुआ।
- उस वक्त 10 से अधिक मरीज जांच के लिए बैठे थे।
- इन सभी को आगे की तारीख दिए बिना लौटा दिया गया।
- आगे की सूचना मोबाइल फोन पर देने की बात कही गई।
- संस्थान में पहले आईएमआरआई जांच के लिए सबसे अधिक मरीजों को एक से डेढ़ महीने की वेटिंग है।
- अचानक मशीन बंद हो जाने से एक सप्ताह जहां मरीजों की जांच प्रभावित हो गई है।
- वहीं इससे बड़ी मुश्किल लोहिया अस्पताल के लिए मशीन को दोबारा शुरू चलने लायक बनाना है।
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हीलियम गैस से बनता है चुंबकीय क्षेत्र
- आईएमआरआई मशीन में हीलियम गैस से चुंबकीय क्षेत्र बनता है।
- चुंबकीय क्षेत्र के लिए गैस को विशेष तापमान पर रखकर एमआरआई मशीन रूम में चुंबकीय क्षेत्र बनाया जाता है।
- एमआरआई मशीन को बंद करने के लिए पहले हीलियम गैस को निकालना होगा।
- लगभग 23000 लीटर लिखकर गैस को मशीन से निकाला जाएगा।
- उसका चुंबकीय क्षेत्र खत्म होगा।
- इसके बाद पिस्टल को बाहर निकाला जा सकेगा।
- इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 50 लाख का खर्च आने की संभावना है।
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गार्ड ने दी धमकी
- जिस दौरान गनर पिस्टल लेकर एमआरआई रूम में जा रहा था।
- उस समय अस्पताल में लगे सुरक्षा गार्डों ने उसे रोका था।
- लेकिन मंत्री के सैडो ने गुंडई की।
- वह बोला एक मिनट मैं ठीक कर दूंगा।
- जबकि अस्पताल प्रशासन द्वारा एमआरआई कक्ष के बाहर साफ-साफ दिशा-निर्देश लिखे गए हैं।
- कि कोई भी धातु का सामान अंदर नहीं ले जाया जा सकेगा।
- लेकिन मंत्री के सैडो ने वहां मौजूद स्टाफ से गुंडई दिखाते हुए का एक मिनट मैं ठीक कर दूंगा।
- वह धमकी देते हुए कक्ष में घुस गया।
- जबकि मरीजों के साथ आने वाले व्यक्तियों को पेन, घड़ी, मोबाइल, सिक्के, चाभिया या अन्य लोहे की धातुओं के सामान, बेल्ट, बटन, हेयर पिन, एटीएम कार्ड, क्लिप, सेफ्टीपिन आज भी ले जाने से मना किया जाता है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
- भले ही यह मामला बेहद गंभीर हो लेकिन अस्पताल प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से भागता रहा।
- इंस्टीट्यूट प्रशासन ने बोलने से पहले तो इंकार किया।
- लेकिन जब घटना की जानकारी मीडिया को हुई तो निदेशक प्रोफ़ेसर दीपक मालवीय, रेडियो डायग्नोसिस विभाग की हेड प्रोफेसर रागिनी सिंह ने बताया की पिस्टल निकलवाने के लिए कंपनी के इंजीनियर को बुलाया गया है।
- पिस्टल निकलने के बाद ही मशीन शुरू होने से मरीजों की एमआरआई हो सकेगी।
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