86 वर्षीय स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद गंगा संरक्षण हेतु एक अधिनियम बनाने की मांग को लेकर 22 जून 2018 से हरिद्वार में अनशन पर बैठे हुए हैं. किन्तु केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्रालय की तरफ से अभी तक कोई भी सानंद से मिलने नहीं आया है. संन्यास लेने से पहले सानंद भारतीय प्रौद्योगिकी संसथान, कानपुर में अध्यापन व शोध कार्य करते थे. उनके इस आन्दोलन का समर्थन करने लखनऊ का सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का युवा शक्ति संगठन GPO पर दह्रने पर बैठा है.
युवा शक्ति संगठन ने लगाया सरकार व मीडिया पर आरोप:
गौरव सिंह का कहना है की, “जैसे गंगा एक्शन प्लान के लिए 500 करोड़ रूपए खर्च किये गये और गंगा पहले से भी ज्यादा प्रदूषित हो गयी, वैसे ही नमामि गंगे परियोजना के 20,000 करोड़ में से 7,000 करोड़ खर्च हो चुके हैं पर अभी तक गंगा रत्ती भर भी साफ़ नहीं हुई है और न होगी क्योंकि नमामि गंगे परियोजना भी गंगा एक्शन प्लान की तर्ज पर ही चल रहा है.”
युवा शक्ति संगठन के एक सदस्य ने बताया, “औद्योगिक कचरे को साफ़ करने के लिए बनाये जाने वाले कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट व शहर की गन्दी नालियों के कचरे को साफ़ करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट इतने बने ही नहीं की सरे कचरे को साफ कर सके. और जो हैं वो ठीक तरीके से काम नहीं करते इसलिए बिना साफ़ किये ही कचरे नदियों में गिराए जा रहे हैं, चाहे वो गंगा हो या साबरमती.”
केवल ठेकेदारों के लिए ही फायदेमंद ट्रीटमेंट प्लांट:
युवा संगठन ने कहा की, “कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट केवल ठेकेदारों के लिए ही फायदेमंद रहे हैं. गंगा व अन्य नदियों को साफ़ करने की नियत ही दिखाई पड़ती इसलिए स्वामी सानंद संरक्षण के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं.”
सरकार के साथ साथ युवा शक्ति संगठन ने मीडिया पर भी आरोप लगाये हैं की सरकार ने तो सानंद की कोई सुध नहीं ली पर मीडिया भी सरकार के दबाव में उन्हें महत्व नहीं दे रहा है. उन्हें याद दिलाया की, “नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला लेते हुए यह घोषणा की थी की उन्हें माँ गंगा ने बुलाया है और प्रधान मंत्री बनने के बाद जल संसाधन मंत्रालय के नाम में ही गंगा संरक्षण शामिल कर दिया, मनो देश में दूसरी नदियाँ ही न हों.”
युवा संगठन ने सरकार को स्वामी से बात करने को कहा:
उधर युवा शक्ति संगठन के गौरव सिंह का कहना है की, “स्वामी सानंद को जिस तरह से मरने के लिए छोड़ दिया गया है, हम स्तब्ध हैं. और अपनी गहरी पीड़ा व्यक्त करते हैं. यदि इस सरकार में ज़रा सी भी संवेदनशीलता है तो स्वामी सानंद से वार्ता कर उनकी जान बचाएं व गंगा ही नहीं देश की जितनी नदियाँ, तालाब, कुएं आदि जल के स्त्रोत हैं उनके संरक्षण के लिए कानून बनाये.”