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नदियों को पूर्ण रुप से जीवित करने के लिए अहम बैठक खत्म

End of important meeting to live the rivers completely

End of important meeting to live the rivers completely

दिल्ली में नदियों को पूर्ण रुप से जीवित करने के लिए एक अहम बैठक की गई.यह बैठक विज्ञान भवन में हुई है.इस बैठक में सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह शामिल थे.बैठक में बड़ा निर्णय लिया गया. केन बेतवा नदी को लेकर एमओयू साइन होगा यह एमओयू 31 जनवरी तक साइन होगा.पिछले 25 से यह प्रोजेक्ट लंबित चल रहा था.

 

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना क्या वाकई उपयोगी है

कृत्रिम रूप से जीवनदायी नर्मदा और मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदियों को जोड़ने के बाद केन और बेतवा नदियों को जोड़ने की तैयारी में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारें हैं. किन्तु इस परियोजना में वन्य जीव समिति बड़ी बाधा के रूप में पेश तो आ ही रही है, यह आशंका भी जताई जा रही है कि इस परियोजना पर क्रियान्वयन होता है तो नहरों एवं बाँधों के लिये जिस उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा, वह नष्ट हो जाएगी।

इस भूमि पर फिलहाल जौ, बाजरा, दलहन, तिलहन, गेहूँ, मूँगफली, चना जैसी फसलें पैदा होती हैं, इन फसलों में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती हैं। जबकि ये नदियाँ जुड़ती हैं, तो इस पूरे इलाके में धान और गन्ने की फसलें पैदा करने की उम्मीद जताई जा रही है। इन दोनों ही फसलों में पानी अत्यधिक लगता है.

बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 4000 से भी ज्यादा तालाब हैं

पूरे बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 4000 से भी ज्यादा तालाब हैं, यदि इन सभी तालाबों को सँवार लिया जाये तो इन नदियों को जोड़ने की जरूरत तो रह ही नहीं जाएगी, कई हजार करोड़ रुपए इस परियोजना पर खर्च होने से भी बच जाएँगे। इस परियोजना को पूरा करने का समय 10 साल बताया जा रहा है। लेकिन हमारे यहाँ भूमि अधिग्रहण और वन भूमि में स्वीकृति में जो अड़चनें आती हैं, उनके चलते यह परियोजना 20-25 साल में भी पूरी हो जाये मुश्किल है?

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