नोएडा के गौतमबुद्ध नगर में शुक्रवार को आयोजित स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सक्रिय क्षय रोग खोज कार्यक्रम में शिरकत की।जिला स्वास्थ्य समिति ने इसका आयोजन किया।सबसे पहले कार्यकर्म में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह का भव्य स्वागत हुआ उसके बाद उन्होंने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। साथ ही इस मौके पर मौजूद लोगों को क्षय रोग या टीबी के प्रति जागरूक किया गया।
#नोएडा– स्वास्थ मंत्री @sidharthnsingh ने दीप प्रज्वलित कर क्षय रोग खोज कार्यक्रम का किया शुभारम्भ! pic.twitter.com/qMRN94dtZr
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) August 4, 2017
स्टालों पर ली जानकारी
- कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सभी को टीबी के प्रति जागरूक किया।
- इस मौके पर उन्होंने बताया कि मेरी नानी को भी टीवी थी,घरेलू उपचार से ही उनका इलाज हुआ ।
- आपको बता दें कि 1 लाख 50 हज़ार करोड़ का बजट सिर्फ टीवी बीमारी से लड़ने के लिए जारी किया गया है।
- उन्होंने ये भी कहा कि बहुत कम लोग जानते होंगे कि मई स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का पोता हूँ ।
- मुझे सरकार ने डॉक्टर ना होते हुए भी स्वास्थ्य मंत्री बनाया इसलिए उनका आभार व्यक्त करता हूँ ।
- उन्होंने कहा कि हर तीन मिनट में दो व्यक्ति और दिन में एक हज़ार व्यक्तियों की टीबी से मृत्यु हो जाती है।
- इसलिए इसके प्रति जागरूकता बेहद जरुरी है तभी इससे बचा जा सकता है।
- कार्यक्रम में मौजूद लोगों को टीबी के लक्षणों को बताया गया ताकि वो सतर्क रह सकें।
- कार्यक्रम 4 अगस्त से लेकर आगामी 18 अगस्त तक जारी रहेगा।
- इस मौके पर विभिन्न स्टाल भी समिति की ओर से लगाये गए थे ।
- सभी स्टालों पर स्वास्थ्य मंत्री ने खुद जाकर निरीक्षण करते हुए जानकारी ली।
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टीबी के लक्षण
- टीबी बैक्टीरिया से होनेवाली बीमारी है, जो हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे में फैलती है।
- यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है।
- सबसे कॉमन फेफड़ों की टीबी ही है लेकिन यह ब्रेन, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी हिस्से में हो सकती है।
- टीबी का बैक्टीरिया हवा के जरिए फैलता है।
- खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदों से यह इन्फेक्शन फैलता है।
- अगर टीबी मरीज के बहुत पास बैठकर बात की जाए और वह खांस नहीं रहा हो तब भी इसके इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है।
- हालांकि फेफड़ों के अलावा बाकी टीबी एक से दूसरे में फैलनेवाली नहीं होती ।
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सरकारी अस्पतालों में निशुल्क हैं इलाज
- भारत में वर्ष 1997 के बाद डॉट्स का सफ़लतापूर्वक संचालन संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया है।
- टीबी से पीड़ित बहुत सारे रोगियों में दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट विकसित होता है ।
- जिसे बहुऔषध-प्रतिरोधी तपेदिक (एमडीआरटीबी) कहा जाता है।
- डॉट्स को एमडीआर टीबी के उद्भव को रोकने में प्रभावी पाया गया है।
- एचआईवी से पीड़ित व्यक्तियों के टीबी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है।
- आपको बता दें कि टीबी मरीजों की अधिकता को देखते हुए डॉट्स केन्द्रों की स्थापना की गयी है .
- सरकारी अस्पतालों में स्थित इन डॉट्स केन्द्रों पर टीबी मरीजों का निशुल्क इलाज होता है .
- उन्हें सभी दवाएं निशुल्क दी जाती हैं।
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