सियाचिन के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1 हजार से ज्यादा सैनिक देश की रक्षा में शहीद हो चुके हैं! सियाचिन में सैनिकों को दुश्मनों से अधिक मौसम से लड़ना पड़ता है! खून जमा देने वाली ठण्ड में ये सैनिक देश की रक्षा में दिन रात खड़े रहते हैं। सियाचिन के हालात देश के अन्य भागों से काफी अलग होते हैं।
हेलिकॉप्टर ऑपरेशन में सियाचिन में 1971 से लेकर 2007 तक 13 पायलट शहीद हो चुके हैं। सेना के जवानों की ताकत को और बढ़ाने के लिए हेलीकॉप्टर की संख्या को बढ़ाने की बात कही गई है। अब देश के जांबाज पायलट इन सैनिकों की ताकत को और बढ़ाएंगे। सियाचिन में ठंड के मौसम में तापमान शून्य से 50 डिग्री नीचे चला जाता है।
चीतल से होगी निगरानी:
- 18 हजार से लेकर 22 हजार फीट की ऊंचाई पर सिर्फ हेलिकॉप्टर काम कर सकता है।
- चीतल हेलिकॉप्टर उन चौकियों पर सिर्फ 30 सेकेंड के लिए ही रुकता है।
- घायल सैनिक के लिए सबसे सुखद दृश्य होता है चौकी की ओर बढ़ता हेलिकॉप्टर।
- पहले चीता के नाम से जाना जाता था ये हेलीकॉप्टर!
- चीतल ज्यादा ताकतवर होने के कारण सियाचिन में होगा तैनात!
- सियाचिन के दुर्गम इलाके में सैनिकों के लिए लाइफलाइन है हेलीकॉप्टर!
- सियाचिन में सरहद पर लड़ने वाले सैनिक उन हालात से लड़ने के लिए ट्रेंड किया जाता है!