गांधीजी के सत्य- अहिंसा के सिद्धांतों को आज पूरी दुनिया ने अपनाया है. इसीलिए हर व्यक्ति बापू को महात्मा कहता है और कहने को तो महात्मा मात्र एक शब्द है, लेकिन इसकी बुनियाद बहुत ही मज़बूत इरादों और निस्वार्थ मन के साथ लोक हित के लिए अपनी ख़ुशी का त्याग कर सकने वाले अडिग विचारों पर रखी जाती है. हममे से हर किसी ने बापू को जब भी देखा होगा, तो अक्सर धोती में ही देखा होगा, लेकिन इ .
अगले पेज पर पढ़ें ये पूरी खबर…
- बापू के इस आंदोलन से शुरू हुई सारी कहानी:
- आपको बता दें की बापू ने जब किसानों के लिए चंपारण
आंदोलन की शुरुआत
की थी. - तब उस दौरान बापू को बहुत परेशान किया जा रहा था और ऐसे में उन्हें कई तरह की परेशानियों और प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ा था
. - लेकिन बापू ने उनकी बात ना मानी और आंदोलन में अडिग रहे.
- वहीँ इस वजह से मौजूदा सरकार ने गांधी जी को चंपारण से जाने का नोटिस दे दिया था.
- वहीँ ये मामला इतना बढ़ी गया की गाँधी जी मुजफ्फरपुर के कमिश्वर और एक आला अधिकारी से मिलने जा पहुंचे, लेकिन वहां से भी इस आंदोलन को खत्म करने की बात हुई.
- बता दें की बापू रुके नहीं इसके बाद उन्होंने किशानों के लिए सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत कर दी, लेकिन वहां दो अधिकारीयों ने बापू को धमकाना शुरू कर दिया और ये बात 3 मेलों को पता थी.
इन्ही 3 औरतों के कारण बापू ने नहीं पहने कपड़े:
- बता दें की सत्याग्रह और चंपारण के आंदोलन के चलते जो कुछ भी हुआ .
- इस पूरे मामले की गवाही के लिए इन्ही तीन औरतों को आना था, लेकिन तीनो के पास आने के लिए कपड़े (साड़ी) नहीं थे.
- वहीँ इस मामले पर गवाही देना बेहद जरूरी था, लेकिन वहां गवाही देने सिर्फ एक ही औरत आई जिसके पास पहनने को साड़ी थी.
- आपको जानकर हैरानी होगी की तीनो महिलाओं ने बारी एक साड़ी को बदल बदल कर गवाही दी.
बापू ने कपड़े ना पहनने की ली शपथ:
- बता दें कि महिलाओं के पास कपड़े ना होने से बापू को बहुत बड़ा धक्का लगा.
- इससे बापू ने कहा कि जब देश के लोगों के पास पहहने को कपड़े नहीं हैं, तो वो भी अब धोती में इसी तरह रहेंगे.