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मोदी सरकार सर्वे के जरिये जानेगी सरकारी विज्ञापनों का लोगों पर असर

Modi government public survey on advertisements effect

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केंद्र सरकार अक्सर ही अपनी जनता के लिए कुछ ना कुछ नयी योजनाए लेकर आती रहती है. उसी की तरह इस बार भी केंद्र सरकार सरकारी विज्ञापनों का लोगों पर पड़ने वाले असर को जानने के लिए सर्वे कराने की योजना बना रही है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अपनी इस योजना पर किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी को नियुक्त करने की तैयारी कर रहा है. इससे विज्ञापनों में खर्च होने वाले धन के उचित इस्तेमाल की रणनीति भी बन सकेगी.

सरकार करेगी स्वतंत्र जांच एजेंसी नियुक्त:

मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर ‘साफ नीयत, सही विकास’ के नारे के चलते सरकार जानना चाहती है कि ‘साफ नीयत, सही विकास’ कैंपेन ग्रामीण इलाकों में कितना कारगर साबित हुआ है.

इस योजना से सरकार ज़्यादातर गांव पर ध्यान दे रही है. सरकार जानना चाहती है की आखिर सारी योजनाये सही ढंग से गांवों तक पहुंच पाई हैं या नहीं.

‘साफ नीयत, सही विकास’ नारे के जरिए मोदी सरकार राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान, पीएम आवास योजना, गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देने वाली उज्ज्वला योजना, ग्रामीण विद्युतीकरण योजना जैसी कई योजनाएं लागू करके लोगों को संदेश देना चाहती है कि सही विकास के लिए मोदी सरकार की नियत बिल्कुल सही है।

पार्टी ने खुद ‘संपर्क फॉर समर्थन’ अभियान के जरिए 4 हजार कार्यकर्ताओं, जिनमें केन्द्रीय मंत्रियों, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उप-मुख्यमंत्रियों, सांसदों, विधायकों, जिला पंचायत सदस्य एवं वरिष्ठ संगठन पदाधिकारियों को समाज के एक लाख प्रतिष्ठित लोगों तक व्यक्तिगत पहुंचने की जिम्मेदारी सौंपी है.

सर्वे से मिलेगी जमीनी हकीकत की जानकारी

ख़बरों की माने तो इस सर्वे में सरकार रिसर्च एजेंसी को हायर करके ग्रामीण इलाकों के अलावा देशभर में इस अभियान का असर पता लगाने की योजना बना रही है.

हालांकि सरकार ने ‘साफ नीयत, सही विकास’ का जमीनी असर पता करने के लिए अभी तक किसी एजेंसी को चयनित नहीं किया गया है. लेकिन इसके लिए सरकार ने एक प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसके जरिए कैंपेन की असली जमीनी हकीकत का पता चल सकेगा.

सूत्रों के मुताबिक सरकार जिस भी एजेंसी को चयनित करेगी वो एजेंसी अपना काम जुलाई तक पूरा करेगी. इस दौरान एजेंसी जमीनी स्तर पर लोगों के इंटरव्यू भी लेगी और लोकेशन की जीपीएस रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.

इसके अलावा बता दें की एजेंसी देश को छह रीजनल जोन में बांट कर वास्तविक जनसांख्यिकीय प्रतिनिधित्व पर फोकस करके उसके प्रभावों की रिपोर्ट सरकार को भेजेगी.

सर्वे के दौरान मिलने वाले फीडबैक और इनपुट सरकार के आगामी एक साल के शासनकाल के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

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