Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
India

अब तो शर्मनाकी को भी शर्म आ रही है….

rape case unnao gangrape case kathua gangrape case bjp fast,2

rape case unnao gangrape case kathua gangrape case bjp fast,2

इस देश के इतिहास में 12 अप्रैल 2018 यानी बृहस्पतिवार का दिन दर्ज करने लायक दिन है. आज के दिन जालिम और मज़लूम दोनों अपने लिए न्याय मांग रहे थे. खगोलशास्त्रियों का आकलन है कि ऐसा इस पृथ्वी पर पहली बार हुआ है. अपने आप में अनुपम घटना है ये.

 कठुआ व उन्नाव केस के पीड़ित इन्साफ मांग रहे और भाजपा विपक्ष के खिलाफ उपवास पर: 

यह दिन तीन तस्वीरों के लिए याद किया जाएगा. पहली तस्वीर है एक दिन के उपवास पर बैठे नेता और उनकी सरकार. दूसरी तस्वीर है कठुआ में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले हैवानों और उनके हाथों मरने से पहले, आखिरी घड़ी तक नोची-खसोटी गई आठ साल की मासूम लड़की की. और तीसरी तस्वीर है उन्नाव के दबंग विधायक की जो बलात्कार का इलज़ाम सर पर लिए पूरे लखनऊ का चक्कर लगाते रहे और सरकार तय नहीं कर पा रही थी कि इन्हें खुला रखने में ज्यादा फायदा है या अंदर करने में.

अब ये हालात देखकर तो सचमुच लगता है कि आज की सियासत को उपवास की ही ज़रूरत है. उपवास होगा तो पेट खाली होगा. पेट खाली होगा तो बोल-वचन कम निकलेंगे. लेकिन अब इसे क्या कहिये कि हमारे नेता भी बला के होशिय़ार हैं. सरकार अगर सेर है तो ये सवा सेर हैं. उपवास के बहाने सबके सब मौन व्रत पर चले गए हैं. कोई कुछ बोल ही नहीं रहा कि कठुआ की आठ साल की बच्ची के हैवानों के साथ ये कैसा सुलूक करेंगे. इन हैवानों को जिस भी रंग में रंगने की कोशिश की जा रही हो. आम जनता की नज़र में तो वो सिर्फ हैवान हैं. और सज़ा के लायक हैं.वे बिलकुल ऐसे नहीं हैं कि पुलिस के आला अधिकारी उन्हें ‘माननीय’ कहें.

गुस्सा नहीं हैरानी होती है लोगों की उस सोच पर जो रूह को छलनी कर देने वाली गैंग रेप जैसी वारदात में भी धर्म और मज़हब ढूंढ लेते हैं. यह कौन लोग हैं जो कह रहे हैं कि उस बच्ची के बलात्कारियों को छोड़ दो जिन्होंने कई दिनों तक एक मासूम को अपनी हवस का शिकार बनाया. और उसके लिए किसी मंदिर का इस्तेमाल किया. सच बताइए क्या आप इन्हें किसी धर्म के लोग कहेंगे?

अब ज़रा दिल पर हाथ रख कर यह भी बताइए कि अगर ऐसे लोगों को छोड़ भी दिया जाए तो क्य़ा उनके सहधर्मी, उनके करीबी-रिश्तेदार भी अपने ही घर की किसी बच्ची को उनके साथ अकेला छोड़ने की हिम्मत करेंगे? लेकिन इससे पहले कि आपका हाथ अपने दिल तक जाए, उस बच्ची के साथ जो हुआ और जैसे हुआ उसे ज़रूर जान लीजिये. ये सिर्फ कहानी नहीं है बल्कि कठुआ की ज़िला अदालत में दर्ज चार्जशीट के अंश हैं. यानी कानूनी दस्तावेज़ हैं.

क्या लिखा है चार्जशीट में:

कठुआ के गांव रासना के आसपास  हाल के वक्त में अल्पसंख्यक बकरवाल समुदाय के कुछ परिवार आकर बस गए थे.  इसी गांव के देवीस्थान मंदिर का सेवादार संजी राम इस समुदाय के लोगों को गांव से हटाना चाहता था और उसी ने ये पूरी साज़िश रची. राजस्व अधिकारी के पद से रिटायर संजी राम पड़ोस की 8 साल की एक बच्ची को रोज पशुओं को चराने के लिए जंगल जाते देखता था. इसी के बाद उसके मन में उस बच्ची को लेकर पाप जागा. उसके दिमाग में एक योजना आई जिसमें उसने अपने नाबालिग भतीजे को भी शामिल कर लिया.

बीते 10 जनवरी को लड़की अपने मवेशी ढूंढती हुई जब जंगल के कुछ अन्दर चली गई तो संजी राम का भतीजा उस बच्ची को काबू में करके जंगल स्थित मंदिर पहुंचा. चार्जशीट के मुताबिक मंदिर के प्रार्थना कक्ष में ही वो बच्ची के साथ रेप करता है. फिर अपने दोस्त मन्नू को भी बुला लेता है. दोनों फिर से रेप करते हैं. इसके बाद वो अपने चाचा को इसकी खबर देता है. संजीराम उससे बेहोशी की दवा मंगवाता है और मंदिर पहुंचता है.

इसके बाद चार्जशीट कहती है कि पीटने… रेप करने… पीटने… रेप करने का खेल चलता रहता है. कई बार बेहोशी की हालत में भी यह किया जाता है. 10 जनवरी… 11 जनवरी… 12 जनवरी… उधर बच्ची को घर वाले ढूंढते और पूछते फिर रहे हैं. थक-हार कर 12 जनवरी को बच्ची का पिता हीरानगर थाने पहुंचता है कि साहब तीन दिन से हमारी बेटी घर नहीं आई. विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया को जांच में लगाया जाता है. उनकी टीम में एएसआई प्रवेश कुमार, सुरिंदर कुमार और हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज भी होते हैं. इस बीच संजी का भतीजा मेरठ के अपने दोस्त विशाल जंगोत्रा को फोन करके कहता है कि अगर वो आठ साल की बच्ची का रेप करना चाहता है तो फौरन कठुआ आ जाए.

चार्जशीट के मुताबिक विशाल अगली ही ट्रेन से कठुआ पहुंचता है. और वह भी बेहोश बच्ची पर टूट पड़ता है. तब तक जांच अधिकारी दीपक खजूरिया लड़की का पता लगाते हुए मंदिर पहुंच जाता है. लेकिन वो सबको तुरंत गिरफ्तार करने की बजाय भतीजे के परिवार को ब्लैकमेल करने लगता है. चार्जशीट में लिखा है कि वो लड़के को बचाने के एवज में डेढ़ लाख रुपए वसूल करता है. इसके बाद जब वो मंदिर पहुंचता है तो बच्ची बेहोश पड़ी होती है. संजीराम कहता है कि अब इसकी हत्या करनी होगी. इस पर जांच अधिकारी खजूरिया कहता है कि थोड़ी देर रुक जाओ. मैं भी कुछ कर लूं. इसके बाद वो पुलिस अधिकारी भी उस बच्ची से रेप करता है. उसके बाद सभी फिर से बारी-बारी आठ साल की उस मासूम के साथ सामूहिक बलात्कार करते हैं. फिर उस बच्ची का गला घोंट कर उसे मार दिया जाता है. उसके सिर को पत्थर से कुचलकर उसकी पहचान मिटाई जाती है और लाश को जंगल में फेंक दिया जाता है.

चार्जशीट से निकली इस कहानी को पढ़कर क्या आपको अब भी लग रहा है कि इन हैवानों का कोई धर्म होगा? चार्जशीट के तहत संजी राम, उसका बेटा विशाल, सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, दो विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, हेड कांस्टेबल तिलक राज और स्थानीय निवासी प्रवेश कुमार पर रेप, मर्डर और सबूत मिटाने के मामले दर्ज होते हैं.

कठुआ हो या उन्नाव, किसको दिखाएं अपना घाव..

कठुआ हो या उन्नाव, किसको दिखाएं अपना घाव.. क्योंकि उन्नाव के विधायक सेंगर के समर्थन में बरेली/ बौरिया के एक विधायक अजीबो-गरीब बयान देते हैं. विधायक सुरेंदर सिंह कहते हैं कि मैं नहीं मानता की सेंगर ने बलात्कार किया होगा. क्योंकि 3 बच्चों की माँ के साथ कोई भी व्यक्ति बलात्कार कैसे कर सकता है. एक ऐसा बयान जिसे सुरेंदर सिंह के घर की महिलाएं भी सुनना नहीं पसंद करेंगी. देश की महिलाओं की तो बात ही छोड़ दीजिए…

दरअसल ये बयान सुरेंदर सिंह और सेंगर जैसे विधायकों की घटिया मानसिकता दिखलाता है. कोई भी महिला इनके लिए क्या हैसियत रखती है. लेकिन क्या फर्क पड़ता है अगर ये ऐसा कह रहे हैं. पुलिस की नज़र में तो यह लोग माननीय हैं.

लेकिन क्या इसमें सिर्फ संजी रम, सेंगर, सुरेंदर, विशाल, सेंगर या खजुरिया जैसे लोग ही दोषी हैं. क्या हम नहीं हैं इसके जिम्मेदार जो झूठ के कारोबार में अपना मुनाफा देखते हैं. लोगों के चाल और चरित्र को जानते हुए भी अपना वोट किसी ख़ास मकसद या किसी ख़ास फ़ायदे के लिए ऐसे लोगों की झोली में डालते हैं. फिर बदले में वह अगर हमें शिक्षा से दूर रखते हैं, हमारे अधिकारों से हमें दूर रखते हैं, हमें धर्म और जाती के झगड़ों में उलझा देते हैं तो क्या सिर्फ वाही कुसूरवार हैं?

आइये कठुआ और उन्नाव की घटना को लेकर जोर जोर से चिल्लाएं. सत्ता को कोसें. नेताओं को गलियां दें और घर परिवार में और समाज में यह दिखाने की कोशिश करें कि देखिये कितनी मानवता है हममें. लेकिन सुबह जब अपनी बच्चियों को स्कूल बस थक छोड़ने जायेंगे तो दिल तो धडकेगा. क्योंकि पता नहीं किस मोडपर संजी राम और किस गली में सेंगर मिल जाए.

हम दुआ करते हैं कि कठुआ और उन्नाव के परिवारों पर जो हुआ वो हमारे और आपके परिवारों के साथ न हो. लेकिन अगर सिर्फ दुआ काफी नहीं है तो फिर हमें और आपको सोचना ही पड़ेगा कि इसका इलाज क्या है?हमें हमारी बेचैनियों का इलाज ढूंढना पड़ेगा. कोई सरकार, कोई नेता, कोई व्यवस्था हमें क्कुह देगी इस भिखारी सोच को छोड़कर उठिए. क्योंकि बात बेटियों तक आ पहुंची है.

इसके लिए जितनी जल्दी हो सके, धर्म, जाति और रंग की सियासत से उपर उठकर मानवता की एकता में विश्वास और यकीन पैदा कीजिये.

हो सकता है कि कठुआ और उन्नाव की घटना कल तक सिर्फ कठुआ और उन्नाव की घटना रही हो. लेकिन अब ये हर शहर और हर घर की घटना है. कठुआ की बच्ची सबकी बच्ची है. उन्नाव की महिला में भी वही खून है जो हमारी महिलाओं के बदन में है. वह पिता जो कठुआ के जंगलों में भटक रहा था या जो लखनऊ की अट्टालिकाओं से फ़रियाद मांग रहा था, क्या आपको उस पिता के बदन से रिसते हुए खून में अपना खून नहीं नज़र आया?

अगर वह खून आपका है तो मुझे यकीन है कि अब किसी सेंगर किसी संजी राम की हिम्मत नहीं पड़ेगी जो देश की बहनों और बच्चियों की ओर नज़र भी उठा सकें. बेटी पढेगी तो तब जब वह बाख पायेगी. और इसके असली जिम्मेदार संजी राम और सेंगर नहीं, हम और आप हैं.

Related posts

उत्तराखंड में बागी विधायकों पर फैसला आज, कपिल सिब्बल पहुंचे सुनवाई शुरू!

Divyang Dixit
9 years ago

हमारे जज्बातों के साथ जुड़ी है धारा 370: जम्मू-कश्मीर CM

Namita
7 years ago

पीएम मोदी ने की राहुल गांधी के जल्द स्वस्थ होने की कामना

Kamal Tiwari
9 years ago
Exit mobile version