नोटबंदी के बाद कैशलेस ट्रांजेक्शन को प्रोत्साहित करने में जुटी केंद्र सरकार की मुहिम को रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) फीका कर सकता है। आरबीआई देश भर के बैंक प्रमुख के साथ बैठक करने के बाद अब कैशलेस ट्रांजेक्शन को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है। जिसमें कैशलेस ट्रांजेक्शन के दौरान लगने वाले मर्चेंट डिस्काउंट रेट को लेकर आरबीआई और सरकार के बीच सहमति नहीं बन पा रही है।
एमडीआर को लेकर फंस सकता है कैशलेस ट्रांजेक्शन :
- जानकारी के अनुसार कैशलेस ट्रांजेक्शन को लेकर आरबीआई और बैंकों के बीच पिछले सप्ताह बैठक हुई थी।
- बैठक में कैबिनेट मंत्री सहित सरकार के कई अधिकारी भी शामिल हुए थे।
- सरकार की तरफ से सुझाव दिया गया था कि एमडीआर को खत्म कर दे या 31 मार्च तक कम कर देँ।
- लेकिन इस पर एसबीआई व आईसीसीआई जैसे कई प्राइवेट बैंक ने आपत्ति जाहिर की।
- बैठक ने आरबीआई डिप्टी गर्वनर ने कहा कि चार्ज में कमी करने से पहले बैंकों की लागत का भी ध्यान रखना होगा।
- सरकार दो हजार रूपये से नीचे के कैशलेस टांजैक्शंस चार्ज में काफी कमी लाना चाहती है।
जाने क्या है एमडीआर :
- मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) का मतलब उस लागत से है, जिसे बैंक कार्ड सर्विसेज देने की एवज में मर्चेंट से वसूलता है।
- देश में करीब 74 करोड़ डेबिट कार्ड और 2.7 करोड़ क्रेडिट कार्ड धारक हैं।
अभी क्या है चार्ज :
- फिलहाल डेबिट कार्ड पर एमडीआर चार्ज 75 से 100 बेसिस पॉइंट्स है।
- वहीं क्रेडिट कार्ड पर यह करीब 170 बेसिस पॉइंट्स है।