भारत में सदियों से साफ-सफाई की उपयोगिता पर विशेष ध्यान देने की बात कही जा रही है लेकिन इन सब बातो का कोई खास असर यहाँ रहने वाली अधिकांश जनसंख्या पर नहीं पड़ता है | देश की सड़को पर गन्दगी दिखाई दे रही है जो तमाम बीमारियों का मुख्य कारण है। अब वक्त आ गया है कि हम अपने और अपने आसपास फैली गन्दगी के बारे में गंभीरता से विचार करे। 2 साल पहले माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश से गन्दगी को ख़त्म करने के लिए स्वच्छ भारत अभियान जैसी सराहनीय मुहिम की शुरुवात की थी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा इस अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गाँधी के जन्मदिवस पर की गयी थी। स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की स्वप्न परियोजना है | क्या इस अभियान के शुरुआत के बाद हमारी सोच में कुछ बदलाव आया या फिर अभी भी सब कुछ पहले जैसा ही है | आइये जानते है कुछ रोचक तथ्य –
इस अभियान की शुरुआत के बाद कई बड़ी हस्तियाँ इस अभियान से जुड़ी जिन्होंने लोंगो को जागरूक करने के लिए सफाई की। सवाल ये है कि क्या अपने घर को साफ़ रखने के लिए हमे किसी के द्वारा जागरुक होने की जरुरत है। ये बहुत ही गंभीर विषय है। स्वच्छता अभियान के बाद रेलवे स्टेशनों की हालत में कुछ सुधार आया है। पहले की आपेक्षा अब रेलवे स्टेशन अब ज्यादा स्वच्छ दिखते हैं मगर अभी भी राज्य सरकार, केंद्र सरकार और हम सब को मिलकर कुछ और ठोस कदम उठाने पड़ेंगे, सिर्फ कह देने से ही हमारा देश स्वच्छ नहीं हो जायेगा। अपने देश को स्वच्छ रखने के लिए हमे अपना भरपूर प्रयास करना पड़ेगा। देश में मैला ढ़ोने पर पाबन्दी है, फिर भी यहाँ अधिकांश स्थानों पर यह काम जारी है, जिसे हम देख कर के भी अन्देखा कर देते हैं। क्या आप ये जानते हैं कि प्रदूषण कौन फैलाता है? क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की इस गंदगी से आप के शहर की छवि कैसी बनती है ? अन्य लोगों की जिन्दगी पे इसका क्या असर पड़ता है ? गंदगी का मुख्य कारण है गली और सड़को पे इकट्ठा होता हुआ कचरा जो आपके शहर के साथ-साथ आपके देश की छवि को ख़राब कर कर रहा है|
सच्चाई यह है कि अभी भी हमारे देश में ऐसे कई गाँव है जहाँ पे आज भी बच्चों के लिए पढ़ने की व्यवस्था तो दूर की बात है उनके शौचालय जाने की व्यवस्था भी नही है, ऐसी हालात में क्या हम स्वच्छ भारत की कल्पना कर सकते हैं? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के स्वच्छता अभियान के अंतर्गत पांच सालों में शौचालयों के निर्माण के लिए 1 लाख 34 हज़ार करोड़ रूपये और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 7366 करोड़ रूपए खर्च किये जायेंगे, मगर क्या इसका लाभ भारत की जनता को मिल पायेगा? या फिर ये सिर्फ कागजों में ही दर्ज रह जायेगा ये तो वक़्त ही बताएगा | मगर अपने घर,मोहल्लों और शहर की स्वच्छता की जिम्मेदारी हमें स्वयं निभाने होगी, तभी जाकर हम अपने स्वच्छ भारत की कल्पना कर सकते हैं| हम उम्मीद करते हैं की हम सभी अपनी जिम्मेदारियों को समझें और अपने देश को स्वच्छ बनाने में अपना सहयोग दें।