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भारत बंद: आन्दोलनकारियों ने आगरा में की लूटपाट

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एससी/एसटी एक्ट के विरोध में जब दलित संगठन सड़को पर उतरे तब शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि यह आन्दोलन इतना हिंसक रूप ले लेगा. इस उग्र आन्दोलन ने पुरे देश को प्रभावित किया. बहरहाल आन्दोलन तो अब खत्म हो चुका है पर लोग अभी तक उस खौफ और हिंसक मंजर से बाहर नही निकले है जिसमें उन्होंने मौत को सामने से देखा था.

दुकानें लुटी, आगजनी की और महिलाओ से छेड़खानी तक की:

2 अप्रैल को लगभग पुरे देश में आन्दोलन होता है. शुरू में जान पड़ता है कि ये आन्दोलन सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संशोधन की मांग को लेकर हो रहा है. लेकिन उसके बाद देखते ही देखते मंजर कुछ और ही हो जाता है. आन्दोलन उग्र हो जाता है. लोग सड़को पर उतर आते है. बाजार बंद हो जाते है. दुकानें-गाड़ियाँ जला दी जाती है. पुलिस चौकियों को फूक दिया जाता है.
यह हाल यूपी-बिहार सहित कई राज्यों का था. उत्तर प्रदेश का पर्यटन स्थल आगरा भी इस आन्दोलन से अछूता नही रहा. आगरा में भी आन्दोलन के नाम पर आगजनी हुई. सड़के जाम कर दी गयी. घंटो एम.जी. रोड पर जाम लगा रहा. ना एम्बूलेंस को निकलने दिया और ना ही किसी की कोई भी बात या परेशानी सुनी गयी. महिलाओं तक को नही बक्शा गया.
आगरा के ढाकरान चौराहे पर छोटी सी दुकान चलाने वाले दिनेश जो कि दिव्यांग हैं. उनकी दुकान लूट ली गयी. प्रदर्शनकारियों ने न केवल  दुकान लूटी बल्कि दुकानदार को और उसकी पत्नी को मारा भी. दूकानदार के पास इलाज के पैसे तक नही है.

पर्यटक अभी तक आगरा में फंसे:

वहीं पंजाब से आगरा घूमने आये देवीलाल और उनके परिवार के लोग अभी आगरा में ही है. जब वे ग्वालियर जाने के लिए अपनी इनोवा से एमजी रोड से निकले तो उपद्रवियों ने उन्हें आगरा के धाकरान चौराहे पर घेर लिया. बड़ी मुस्किल से वह जान बचा कर एक होटल में छिप गये. आन्दोलनकारियों ने उनकी गाड़ी को पूरी तरह से नष्ट कर दिया. देवीलाल ने बताया कि, “अगर हम गाड़ी नही छोड़ते तो शायद उपद्रवी जान से मार देते.”

आगरा के एमजी रोड पर उपद्रवियों ने महिलाओं के साथ छेड़खानी, लूटपाट, आगजनी की कई घटनाओं को अंजाम दिया. वही के एक निवासी ने भी जो इसका प्रत्यक्षदर्शी था , उपद्रवियों के इस अलग तरह के आन्दोलन को बयाँ किया. उसने बताया कि उपद्रवी पूरी तरह प्रदर्शन के नाम पर तैयार होकर आए थे और आते ही उन्होंने उपद्रव करना शुरू कर दिया. चारो तरफ से पथराव होने लगा. उस उपद्रव में स्कूली बच्चे फंस गए.

सोचने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट से अपनी मांगों को लेकर होने वाला आन्दोलन लूटपाट, आगजनी और हिंसक उपद्रव में कैसे तब्दील हो गया. बहरहाल आगरा के लोग अब शहर में अमन चैन चाहते है और जिन सफेदपोशो की शह पर ये कृत्य किया गया है, उन्हें जल्द से जल्द सजा मिले इसकी उमीद कर रहे है.

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