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मैं एससी/एसटी एक्ट आंदोलन का समर्थन करती हूं: मायावती

I support protest against SC/ST Act: Mayawati BSP

I support protest against SC/ST Act: Mayawati BSP

पूरे देश में एससी-एसटी एक्ट में हुए बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलितों का भारत बंद सोमवार को कई जगहों पर हिंसक रूप से देखने को मिला। यूपी के लखनऊ, मेरठ, गोरखपुर, सहारनपुर, हापुड़, आजमगढ़, कानपुर, इलाहाबाद, शाहजहांपुर, बरेली, गाजियाबाद और आगरा समेत लगभग सभी जिलों में प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्पात मचाया। कई जिलों में सरकारी वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की।

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने अपने मॉल एवेन्यू स्थित आवास पर मीडिया को बताया कि केंद्र द्वारा #SCSTAct में जो पुनर्विचार याचिका दायर की गई है वह बेदह जरूरी थी। अगर यह पहले होता तो आज भारत बंद बुलाने की जरूरत नहीं पड़ती। मायावती ने कहा कि मैं #SCSTAct आंदोलन का समर्थन करती हूं। मुझे पता चला है कि कुछ लोग इस आंदोलन में हिंसा कर रहे हैं मैं उसकी निंदा करती हूं। इस हिंसा के पीछे हमारी पार्टी का हाथ नहीं है।

पुनर्विचार याचिका दाख़िल की गई वह बहुत ही ज़रूरी था: मायावती

देश में अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून, 1989 को भी, दलित व आदिवासी कर्मचारियों को मिलने वाले प्रमोशन में आरक्षण की सुविधा की तरह ही, लगभग निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिये जाने के खिलाफ देशभर में व्यापक आक्रोश व ‘भारत बन्द’ आदि आन्दोलनों की तीव्रता से मजबूर होकर ही केन्द्र सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में काफी विलम्ब से जो आज पुनर्विचार याचिका दाख़िल की गई वह बहुत ही ज़रूरी था, परन्तु यह सरकारी प्रयास पहले की तरह केवल दिखावटी, नुमाइशी व गुमराह करने वाला नहीं होनी चाहिये बल्कि पूरी तैयारी व मज़बूती के साथ केस की प्रस्तुति करके एस.सी.-एस.टी. कानून को दोबारा उसे उसके असली रूप में तत्काल बहाल कराना चाहिये।

मृतकों व घायलों की उचित सहायता करे सरकार

बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती ने मीडिया से बात करते हुये आज कहा कि अगर केन्द्र सरकार सम्बंधित मामले में समय पर उचितकार्रवाई करती तो आज ‘भारत बन्द’ की नौबत ही नहीं आती और ना ही कुछ ग़ैर-आन्दोलनकारी असामाजिक तत्वों को सरकारी लापरवाही के कारण आगजनी व हिंसा आदि करने का मौका मिलता। बी.एस.पी. ‘भारत बन्द’ के दौरान हिंसक घटनाओं की तीव्र निन्दा करती है, लेकिन बीजेपी सरकारों को इसकी आड़ में सरकारी जुल्म-ज्यादती करके लोगों को और भी ज्यादा भड़काने का प्रयास नहीं करना चाहिये। सरकार पूरी निष्पक्षता से काम करते हुये मृतकों व घायलों की उचित सहायता करे।

वैसे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व बीजेपी की इनकी विभिन्न राज्यों की सरकार में ख़ासकर दलितों, आदिवासियों व पिछड़ों की बहुत ही ज़्यादा उपेक्षा हो रही है तथा इन्हें इनके संवैधानिक व कानूनी अधिकारों से भी वंचित रखने का षडयंत्र लगातार किया जा रहा है,परन्तु एस.सी.-एस.टी. कानून, 1989 को पूरी तरह से प्रभावाहीन व बेअसर बना देने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व महाराष्ट्र बीजेपी सरकार की साज़िशों ने इन वर्गों के लोगों को काफी ज्यादा उद्वेलित व आन्दोलित कर दिया है, जिस कारण ही दलितों व आदिवासियों ने मिलकर आज ‘भारत बन्द’ का आयोजन किया है, जिसको हर तरफ व्यापक समर्थन मिला है।

बी.एस.पी. इसके लिये उन सभी का शुक्रिया व आभार भी प्रकट करती है तथा यह आश्वस्त करना चाहती है कि हमारी पार्टी इन सभी मामलों में अपनी जबर्दस्त भूमिका व संघर्ष को लगातार जारी रखेगी। हम संसद में नहीं हैं तो क्या हुआ, संसद के बाहर की हमारी राजनीति व जीवन संघर्ष नरेन्द्र मोदी सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर करता रहेगा जैसाकि किसानों की खेतिहर जमीन जबर्दस्ती अधिग्रहण करने के मामले में सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था।

वैसे भी इन वर्गों के उपेक्षित व शोषित लोग पहले से ही सरकारी शह व संरक्षण के कारण जातिवादी हिंसा व उत्पीड़न से काफी ज्यादा परेशान थे, परन्तु इस सम्बंध में अत्याचार निवारण कानून को एक प्रकार से कागज का टुकड़ा बना देने से इनके सबर का पैमाना छलक गया है और वे लोग भी किसानों की तरह ही सड़कों पर उतर आने को मजबूर हुये हैं।

उन्होंने कहा कि जैसा कि सर्वविदित ही है कि बीजेपी के शासन में ख़ासकर दलितों व आदिवासियों के संवैधानिक व कानूनी अधिकारों पर लगातार कुठाराघात हो रहा है। सरकारी मंत्रालयों का लगातार निजीकरण करके तथा बड़ी-बड़ी सरकारी योजनाओं को धन्नासेठों की प्राइवेट कम्पनियों को देकर नौकरी में आरक्षण की सुविधा को पहले ही लगभग समाप्त कर दिया गया है। इसीलिये प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण की व्यवस्था तत्काल लागू करने की जरूरत है जिसके लिये बी.एस.पी.काफी लम्बे समय से संघर्षरत भी है तथा उत्तर प्रदेश में अपनी चौथी सरकार में ऐसा करके भी दिखाया है।

इसके अलावा सरकारी षडयंत्र के कारण नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण की सुविधा पहले से ही लगभग निष्क्रिय व निष्प्रभावी बन कर रह गयी है, जिससे इस वर्ग के लोग बुरी तरह से प्रभावित हुये हैं, परन्तु बीजेपी सरकार पूरी तरह से लापरवाह व उदासीन बनी हुई है तथा इस सम्बन्ध में राज्यसभा से पारित संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा से पारित ना करके मामले को पिछले चार सालों से लटकाये हुये है। इन तथ्यों से क्या यह साबित नहीं होता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व बीजेपी की सरकार दलित-विरोधी नीयत, नीति व मानसिकता रखती है, जो कि पूरी तरह से देश व संविधान-विरोधी सोच नहीं है तो और क्या है?

इसीलिये प्रमोशन में आरक्षण के कानून की तरह ही, एस.सी./एस.टी. अत्याचार विरोधी कानून को भी, प्रभावहीन बनाने के विरोध में दलितों व आदिवासियों द्वारा आज आयोजित ‘भारत बन्द’ के लिये सभी लोगों का शुक्रिया व आभार प्रकट करते हुये मायावती ने कहा कि ऐसे मामलों में खासकर बीजेपी के सांसदों व इनके एन.डी.ए. के सहयोगी नेताओं को सबक सीखना चाहिये जो सत्ता की कुर्सी के लिये समाज के हितों का सौदा व उसकी अनदेखी करते रहते हैं।

आज देश के सामने यह सवाल है कि आखिर क्या कारण है कि प्रमोशन में आरक्षण के सम्बंध में संविधान संशोधन विधेयक के, बी.एस.पी. के जबर्दस्त संघर्ष के कारण राज्यसभा से पारित होने के बावजूद, केवल लोकसभा से पारित होने के लिये लम्बित पड़ा हुआ है और बीजेपी व एन.डी.ए.के दलित सांसद व मंत्री पिछले चार वर्षों से खामोश तमाशाई बने बैठे हुये हैं?

कई जिलों में भेजा गया अतिरिक्त पुलिस बल

डीजीपी मुख्यालय से प्राप्त सूचना के अनुसार, हिंसा को देखते हुए पांच कंपनी पीएसी और चार कंपनी RAF अतिरिक्त तैनात की गई है। मेरठ, हापुड़, आगरा और गाजियाबाद में रैपिड एक्शन फोर्स की अतिरिक्त कंपनी तैनात की गई है। आंदोलन के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं को देखते हुए पांच कंपनी पीएसी भी संवेदनशील जिलों को भेजी गई है। प्रदेश के मेरठ और आगरा जोन में सर्वाधिक आंदोलन के दौरान हिंसक घटनाएं हुई हैं।

एक की मौत की एडीजी ने की पुष्टि

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने बताया कि इस हिंसक प्रदर्शन में नई उम्र के लड़के सामने आये हैं। ऐसे युवाओं पर कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करके स्थिति को काबू में कर लिया है। एडीजी ने इस हिंसक घटना में एक युवक के मारे जाने की कथित तौर पर पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मेरठ, हापुड़, आगरा, मुजफ्फरनगर नोएडा सहित सभी जिलों में स्थति काबू में है। पुलिस स्थिति को लगातार नियंत्रण कर कार्रवाई कर रही है।

पुलिस का सहयोग करे जनता: डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर

डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर प्रवीण कुमार ने बताया कि एससी-एसटी एक्ट में हुए बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलितों का भारत बंद सोमवार को कई जगहों पर हिंसक रूप से देखने को मिला। यूपी के लखनऊ, मेरठ, गोरखपुर, सहारनपुर, हापुड़, आजमगढ़, कानपुर, इलाहाबाद, शाहजहांपुर, बरेली, गाजियाबाद और आगरा समेत लगभग सभी जिलों में हालात काबू में हैं। जिन जगहों पर हालात काबू करने में दिक्कत हो रही थी उन जिलों में पुलिस को जनता के बीच तालमेल बनाए के लिए पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए गए हैं।

लखनऊ में शांतिपूर्वक प्रदर्शन: एसएसपी

एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि हजरतगंज में एससी-एससी एक्ट के बदलाव के विरोध में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को उन्होंने समझाया। एसएसपी ने बताया कि हजरतगंज के गांधी प्रतिमा पर हजारों की तादात में प्रदर्शनकारी पहुंचे थे। प्रदर्शनकारी सरकार विरोधी नारेबाजी कर रहे थे। प्रदर्शन की तनावपूर्ण स्थिति देखते हुये फायर ब्रिगेड को भी मौके पर बुलाया गया। मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक के रखा था। सभी प्रदर्शनकारी शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं, लखनऊ में कोई उग्र प्रदर्शन नहीं हुआ।

पुलिस पर हमले के बाद लाठीचार्ज

यहां कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के शोभापुर में उग्र प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने पलटवार करते हुए घर में घुसकर लाठीचार्ज किया। पुलिस सड़कों पर उपद्रवियों को दौड़ादौड़कर पीटा। इससे पहले उपद्रवियों ने पुलिस और पत्रकारों पर पथराव कर उन्हें पीट दिया था। बताया जा रहा है कि पुलिस ने उपद्रवियों ने घरों में छिपे बैठे बावलियों को निकालकर गिरफ्तार किया। वहीं नाराज दलित समुदाय के प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस चौकी में आग लगाने की भी खबर है। उपद्रवियों ने एक पेट्रोलपंप पर भी जमकर तोड़फोड़ की। इससे वहां भगदड़ मच गई।

एक उपद्रवी को गोली लगी

मेरठ कचहरी में हँगामा करने के बाद प्रदर्शन करते हुए उपद्रवी अंदर घुस गए यहां उन्होंने तोड़फोड़ की। इस दौरान फायरिंग की भी सूचना है। पुलिस ने मौके पर पहुँचकर प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। खबरों के अनुसार, हंगामे के दौरान एक युवक के गोली लग गई। मेरठ के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में उत्पाद मचा रहे युवक के गोली लगने की खबर से हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि युवक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां से उसे दिल्ली रेफर किया गया है। सोशल मीडिया पर वॉयरल सन्देश के मुताबिक, इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई। हालांकि इस संबंध में आधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं हुई है।

आजमगढ़ में रोडवेज बस में आगजनी

आजमगढ़ में उपद्रवियों ने सड़कों पर उतरकर रोडवेज की कई बसों को आग के हवाले कर दिया। इस घटना से यात्रियों में हड़कंप मच गया। मौके पर मौजूद भारी संख्या में पुलिस बल और अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने आग पर काबू पाया लेकिन तब तक लाखों की संपत्ति खाक हो गई।

हापुड़ में वाहनों के आगजनी से हड़कंप

SC-ST को लेकर दलितों का विरोध प्रदर्शन यूपी के कई जिलों में हिंसक रूप से देखने को मिला। हापुड़ में प्रदर्शनकारियों ने खड़े वाहनों में आग लगा दी। इसके अलावा कई वाहनों और कार्यालयों में भी तोड़फोड़ की गई। तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात की है।

आगरा में प्रदर्शनकारियों ने रोकी कई ट्रेनें, पुलिस पत्रकारों पर हमला

खबरों के अनुसार, आगरा में प्रदर्शनकारियों ने रेल की पटरियों पर कब्जा कर लिया। जिसकी वजह से दिल्ली-झांसी रेलवे मार्ग पर कई ट्रेन प्रभावित हुई। मेरठ में भी दलितों ने प्रदर्शन के दौरान बसों को आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने बवाल करते हुए पुलिस और पत्रकारों पर भी हमला कर दिया। हमले की सूचना पर मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है कर दिया गया है।

गाजियाबाद में रेलवे संचालन प्रभावित

गाजियाबाद में रेलवे फटकी पर जाम के कारण ट्रेनों का संचालन भी प्रभावित हुआ है। दलित संगठन से जुडे लोग जगह जगह इक्ठ्ठे होना शुरू भी गए हैं। उत्तर प्रदेश के मेरठ तथा आगरा व मैनपुरी में दलित संगठन से जुड़े लोग सड़क पर उतर आए हैं। कई जगह पर प्रदर्शनकारी ट्रेन के सामने खड़े हो गए हैं। एससी-एसटी एक्ट पर फैसले का आगरा में भी कई संगठनों ने काफी विरोध किया है।

ये है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल ही में एससी/एसटी एक्ट 1989 में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला किया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच हो। कोर्ट ने कहा था कि केस दर्ज करने से पहले डीएसपी स्तर का अधिकारी पूरे मामले की प्रारंभिक जांच करेगा और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि कुछ मामलों में आरोपी को अग्रिम ज़मानत भी मिल सकती है।

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