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‘समाजवादी परिवार’ की फूट न बन जाये ‘समाजवादी पार्टी’ की टूट!

Samajwadi Party political crisis

उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी आगामी 5 नवम्बर को अपना ‘रजत जयंती वर्ष’ मना रही है, जिसके तहत सपा कार्यालय में बैठक का आयोजन किया गया है, जिसमें पार्टी के सभी पदाधिकारियों में शिरकत की है।

नहीं पहुंचे सपा प्रमुख और सीएम अखिलेश:

रजत जयंती समारोह की तैयारियों को लेकर समाजवादी पार्टी में बैठक का आयोजन किया गया है, जिसमें पार्टी के सभी पदाधिकारियों को बुलाया गया है। लेकिन शुक्रवार को बैठक में न ही सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव पहुंचे और न ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव। गौरतलब है कि, प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव खुद मुख्यमंत्री अखिलेश को मीटिंग में बुलाने के लिए गए थे।

सपा प्रमुख का मोह भी छूटा पार्टी से?:

समाजवादी पार्टी में बीते कई दिनों से घमासान मचा हुआ है, हालाँकि पार्टी में सभी यह दावा करते हैं कि, समाजवादी परिवार में सब कुछ ठीक है, सामान्य है। लेकिन पार्टी के अन्दर विवाद अभी थमा नहीं है।

पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच खाई गहराती जा रही है, सीएम अखिलेश ने अपनी नाराजगी अभी तक नहीं छोड़ी है। वहीँ सपा प्रमुख ने भी सीएम के इस रवैया को तूल न देते हुए अपने भाई शिवपाल को ही प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था। जिसके बाद सीएम ने दबे स्वर में सपा प्रमुख के इस निर्णय की खिलाफी की थी। वहीँ पार्टी की यूथ ब्रिगेड के नेताओं ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, जिसमें युवा नेताओं द्वारा प्रदर्शन और सपा प्रमुख के खिलाफ नारेबाजी की गयी।

नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष ने सपा प्रमुख के अपमान को लेकर सभी युवा नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया। जिसके बाद चाचा-भतीजे के बीच पैदा हुआ विवाद और गहरा गया, इतना ही नहीं शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी संगठन में जो बदलाव किये, वो भी अखिलेश यादव को नहीं पसंद आये। लिहाजा चाचा-भतीजा लाख दावों कि, ‘सब कुछ ठीक है’ के बावजूद एक-दूसरे को नहीं सुहा रहे हैं।

क्या अखिलेश बनायेंगे नई पार्टी?:

समाजवादी परिवार का झगड़ा इस हद तक पहुँच चुका है कि, सूबे की राजनीति में इस प्रकार के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चुनाव से पहले अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं। इतना ही नहीं पार्टी का नाम और चुनाव निशान तक के कयास लोगों द्वारा लगाये जा चुके हैं।

वहीँ पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के हालात और रवैये से भी यह जाहिर हो रहा है कि, समाजवादी परिवार में फूट डाली जा चुकी है और यदि ऐसा ही चलता रहा तो पार्टी में पड़ी फूट ही पार्टी की टूट का कारण बन जाएगी।

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