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प्रमुख सचिव से मुलाक़ात के बाद रोडवेजकर्मियों की हड़ताल हुई रद्द

UPSRTC employees to go on indefinite strike from April 9

UPSRTC employees to go on indefinite strike from April 9

रोडवेज़ 

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के बैनर तले पांच सूत्री मांगों को लेकर बीते पांच अप्रैल को 72 घंटे के अल्टीमेटम की मियाद रविवार रात को पूरी हो रही है। रात से ही राजधानी समेत प्रदेश भर में बसों का चक्का जाम हो जाएगा। रविवार दोपहर 12 बजे संगठनों ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।

रात में बसों का चक्का जाम को लेकर संगठनों ने अभी से बस अड्डे पर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कैसरबाग बस स्टेशन पर संविदा चालक-परिचालक संघर्ष यूनियन ने रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद को अनिश्चितकालीन हड़ताल में समर्थन का एलान कर दिया। इसके साथ ही रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद की ताकत और बढ़ गई, वहीं रोडवेज अधिकारियों की चिंताओं में और इजाफा हो गया।

रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के शाखा अध्यक्ष रजनीश मिश्रा के नेतृत्व में कैसरबाग बस स्टेशन पर तमाम रोडवेज कर्मियों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान संगठन ने रोडवेज प्रबंधन पर मांगों को मानने का दबाव बनाया है। परिषद को इस चक्का जाम में सहयोगी संगठनों का भी समर्थन मिलने लगा है। संविदा चालक- परिचालक संघर्ष यूनियन के क्षेत्रीय अध्यक्ष कौशलेंद्र सिंह ने परिषद को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। बस अड्डे पर दोनों संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया। दोनों संगठनों का दावा है कि हड़ताल सौ फीसद सफल होगी।

हालांकि हड़ताल करना उनका उद्देश्य नहीं है, क्योंकि इससे यात्रियों को परेशानी होगी, वहीं रोडवेज को नुकसान होगा, लेकिन मजबूरी है कि रोडवेज प्रबंधन और शासन कर्मचारी हित की बात करना ही नहीं चाहता और न ही सुनना चाहता है। ऐसे में मजबूर होकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है।

बहरहाल प्रबंधन के माथे पर अब चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं। हलाकि अभी भी प्रबंधन ने न संगठन के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया है और न ही यह तय किया है कि हड़ताल के दौरान यात्रियों को किस तरह से बसों की सुविधा दी जाएगी।

क्या है मांगे:

संयुक्त परिषद के शाखा अध्यक्ष रजनीश मिश्रा ने बताया कि 7 सितंबर को बोर्ड ने सातवें वेतनमान को मंजूरी दे दी थी।

उसके बाद 30 सितंबर को शासनादेश जारी हो गया।

बावजूद इसके शासन ने सातवां वेतनमान लटका रखा है।

जबकि सातवें वेतनमान के लिए ही 1 अक्टूबर से यात्रियों पर 9 पैसे प्रति किलोमीटर किराए का भार भी डाल दिया गया।

रोडवेज के पास पैसे की भी कमी नहीं है, बावजूद इसके कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है।

संविदा यूनियन के क्षेत्रीय अध्यक्ष कौशलेंद्र सिंह का कहना है कि कई बार आंदोलन किया गया, प्रदर्शन हुए, वार्ता हुई और आश्वासन भी मिला, लेकिन कोई भी आश्वासन सच अब तक नहीं हुआ।

प्रबंधन और शासन की वादाखिलाफी का ही नतीजा है कि आज जिस रोडवेज को शिखर तक पहुंचाने के लिए कर्मचारी दिन-रात मेहनत करते रहे हैं, उन्हीं को अपने हक के लिए सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि अनिश्चितकालीन चक्का जाम होकर रहेगा, जब तक कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं।

आगरा और बरेली में भी रोडवेज कर्मियों की हड़ताल:

वहीं आगरा रोडवेज़ और बरेली के कर्मचारी भी 11 अप्रैल से हडताल पर जायेंगे। बीते दिन आगरा रोडवेज यूनियन ने नारेबाजी करते हुए बड़ा एलान किया कि 10 तारीख तक अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो 11 तारीख से सभी रोडवेज बसों का चक्का थम जाएगा। रोडवेज कर्मियों के इस एलान के बाद यात्रियों को बड़ी मुसीबत होने वाली है।

यही नहीं सड़कों पर प्राइवेट बसों को भी चलने नहीं दिया जाएगा। रोडवेज इंप्लाइज यूनियन की तरफ से नारेबाजी की गई। एक मांग पत्र भी सौंपा गया। इस मांग पत्र में सातवां वेतन आयोग लागू करने, संविदा कर्मियों के नियमितीकरण और 18 हजार रुपये का न्यूनतम वेतन निर्धारित करने की मांग की गई है।

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