हमारे देश में वैसे तो कई तरह की संस्कृतियाँ व कलाएं मौजूद हैं. साथ ही भारत में कई ऐसे कलाकार भी हैं जो बहुमुखी प्रतिभा के धनि हैं. परंतु हमारे देश में एक कला ऐसी भी है जो पुरातन काल से चली आ रही है और आज भी जनता का मनोरंजन करती है. जी हाँ हम बात कर रहे हैं नाट्यकला की जो आज भी जनता का उतना ही मनोरंजन करती है जितना पहले के समय में किया करती थी. इस मंच से जुड़े कलाकार अपनी कला और मंचन में इतने निपुण होते हैं कि देखने वाले को अचंभा होता है कि वे मंचन कर रहे हैं या असल में यह उनके जीवन का भाग है. ऐसा ही एक नाट्य मंचन आज लखनऊ के गोमती नगर में भी हुआ. इस नाटक का नाम है यहूदी की लड़की है.
नाट्य मंचन का सार :
- लखनऊ के गोमती नगर में आज एक नाट्य मंचन प्रस्तुत किया गया है.
- बता दें कि इस नाट्य मंचन का नाम यहूदी की लड़की था.
- यह एक शिक्षा प्रद नाटक था जिसने जीवन की कई गुथियाँ सुलझाई हैं.
- आपको बता दें कि यह कहानी आगा हशर काश्मीरी द्वारा लिखी गयी है.
- साथ ही इसका निर्देशन मिदहत उल्लाह खान द्वारा किया गया है.
- यह कहनी दो किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है जिसमे से एक है कट्टर मज़हबी पेशवा ब्रूटस,
- तो वही दूसरी ओर है यहूदियों का सरदार अज़रा जो एक नर्म दिल इंसान है.
- ब्रूटस जब अपनी सत्ता पाता है तो उसके मद में आकर रोमनों पर हुए हमलों का बदला लेना चाहता है.
- जिसके बाद वह यहूदी समुदाय के हर व्यक्ति को मार डालता है फिर चाहे वह बच्चा हो, बूढ़ा हो या कोई अपंग ब्रूटस किसी को भी नहीं बक्श्ता है.
- जिसके बाद उसके इस कहर से यहूदी समुदाय अपना धर्म परिवर्तन करने लगते हैं.
- परंतु सरदार अज़रा अपने धर्म पर अडिग रहकर ब्रूटस का सामना करता है.
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यही से कहानी में आता है एक नया मोड़ :
- इन्ही हालातों में समय बीतता है, परंतु इसी बीच ब्रूटस को पता चलता है कि उसकी बेटी जिसे वह मरा हुआ समझता था अभी भी ज़िंदा है.
- यही नहीं उसे यह भी पता लगता है कि उसकी बेटी यहूदी सरदार अज़रा के पास है.
- जिसके बाद वह अज़रा के पास जाता है और कोशिश करता है कि वह उसकी बेटी का पता दे.
- परंतु अज़रा अपने जवाब से तस-से मास नहीं होता है और आखिरकार ब्रूटस को उसके आगे झुकना पड़ता है.
- जिसके बाद अज़रा उसे उसका धर्म परिवर्तन करने पर मजबूर करता है तो ब्रूटस इसके लिए भी तैयार हो जाता है.
- जिसके बाद अज़रा उसकी बेटी उसे सौंपता है साथ ही उसे सबक देता है कि उसने उसकी बेटी को मारने के लिए उठाया था.
- परंतु इतना सब करने के बाद भी उसने ब्रूटस की बेटी को अपनी बेटी बना कर रखा.
- जिसके बाद ब्रूटस को अपनी गलती का एहसास होता है और वह अपनी बेटी को अज़रा के पास छोड़कर चला जाता है.
- आपको बता दें कि इस नाटक ने यहाँ आई जनता का खूब मनोरंजन हुआ साथ ही जनता ने एक सबक भी सीखा.